Friday, 19 February 2016

परीक्षा फार्म कैसे भरें

छात्रों के लिए आज के समय में सबसे बड़ी समस्या कैरियर की है, कैरियर का ठीक प्रकार से ज्ञान नहीं होने के कारण वे जिधर भीड़ देखते हैं उधर चले जाते हैं, जैसे  अगर कुछ छात्र कामर्स में एडमीशन लेते हैं या साइंस में एडमीशन लेते हैं तो सारे छात्र उधर ही चले जाते हैं चाहे उसमें कुछ समझ में आये या न समझ में आये। कुछ समय बाद बहुत से छात्र वापस आ जाते हैं। इसलिए पढ़ाई या कैरियर का चुनाव बहुत सावधानी से करना चाहिए।
आजकल अधिकतर जॉब ऑनलाइन आते हैं इसलिए ऑनलाइन जॉब देखना और भरना भी आना चाहिए। ऑनलाइन फार्म भरने से पहले से ही पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए ताकि फार्म भरते समय किसी प्रकार की परेशानी न हो, जैसे फोटो कैसी और कितनी बड़ी हो अर्थात स्केन करते समय कितने के.वी. की रहे, हस्ताक्षर व अँगूठे का निशान कितना बड़ा हो इसकी जानकारी पहले से ही प्राप्त कर लें। फीस के लिए चालान, डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग का आप्शन होता है, उसकी जानकारी भी प्राप्त करें और अपना आप्शन तैयार रखें। फार्म भरने के बाद कन्फर्मेशन पेज जरूर निकाल लें। फार्म शुरू में ही भर लें वरना परीक्षा केन्द्र आपके पसंदीदा शहर में मिलना मुश्किल हो जाता है और परीक्षा केन्द्र दूर मिलता है। एडमिट कार्ड समय पर डाउनलोड कर लें। परीक्षा केन्द्र एक दिन पहले जाकर देख लें या पता कर लें और परीक्षा केन्द्र पर समय से पहले पहुँचें। इन सब बातों का आप ध्यान रखेंगे तो अनावश्यक परेशानियों से बच सकते हैं।

-शबाब हैदर
टी.जी.टी. (विज्ञान) 

प्राचार्य का सन्देश

छात्र-छात्राओं की रचनात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करने और उसमें निखार लाने का सबसे प्रभावशाली माध्यम है विद्यालय की पत्रिका। यूँ तो छात्र-छात्राओं में रचनात्मक प्रतिभा बहुत अधिक होती है परन्तु आवश्यकता इस बात की है कि उन्हें उचित मार्गदर्शन मिले। तमाम तरह की शैतानी करने वाले बच्चों को यदि रचनात्मकता की दिशा में मोड़ दिया जाये तो वे बड़ी आसानी से अपनी मंजिल की ओर अग्रसर हो जाते हैं। बच्चों को अपनी मौलिक अभिव्यक्ति के लिए पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए तभी वे अपने मन की बात लिखना सीख सकेंगे। बच्चों की रचनाओं में अपरिपक्वता तो रहती ही है परन्तु यह अपरिपक्वता ही उनकी मौलिकता का परिचायक है। ‘उड़ान’ पत्रिका की यह अपनी विशेषता है कि इसके लिए छात्रों को मौलिक रचनाएँ लिखने हेतु प्रेरित किया जाता है। उड़ान के इस अंक के लिए भी कार्यशालाओं के माध्यम से छात्रों को कुछ विषय दिये गये और उन विषयों पर कुछ लिखने को कहा गया। पत्रिका के इस अंक में छात्रों की मौलिक रचनाएँ ही प्रकाशित हो सकें इस बात का विशेष ध्यान रखा गया हे। गत वर्ष विद्यालय के छात्रों ने जापनी कविता हाइकु लिखने सीखे और अपनी हाइकु कविताओं का एक स्वतंत्र संकलन प्रकाशित कराया जिसकी चर्चा भारत में ही नहीं जापान सहित विश्व के अनेक देशों में हुई। किसी सरकारी विद्यालय के बच्चों के द्वारा लिखी गई कविताओं का द्विभाषी संकलन ‘भारतीय बच्चों के हाइकु’ जैसी महत्त्वपूर्ण पुस्तक का पहली बार प्रकाशन देश विदेश के साहित्यकारों के मध्य चर्चा का विषय बना रहा। बच्चों ने यह आश्चर्यजनक कार्य ‘उड़ान’ में मौलिक रचनाओं के प्रकाशन से प्रेरित होकर ही किया है। छात्रों ने हाइकु कविताएँ लिखकर अपनी रचनात्मक प्रतिभा का अद्भुत परिचय दिया। छोटे-छोटे बच्चों द्वारा लिखी गई हाइकु कविताओं को पढ़कर सहज अनुमान लगाया जा सकेगा कि बच्चों में अद्भुत लेखन क्षमता होती है।
 विद्यालय पत्रिका ‘उड़ान’ का वेब संस्करण विगत चार वर्ष से प्रकाशित किया जा रहा है, यह कम्प्यूटर और इण्टरनेट के युग में नई प्रौद्योगिकी के सहारे छात्रों द्वारा कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास है। ‘उड़ान’ के वेब संस्करण को इस लिंक पर देखा जा सकता है-
  www.gbsssnewashoknagar.blogspot.in
 ‘उड़ान’ पत्रिका के इस अंक के प्रकाशन पर मैं उन सभी अभिभावकों, छात्रों, शिक्षक-शिक्षिकाओं,  विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों तथा शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जिन्होंने पत्रिका के लिए अपनी रचनाएँ एवं चित्र प्रकाशनार्थ दिए हैं एवं उन्हें प्रोत्साहित किया है उन सभी के प्रति विनम्र आभार व्यक्त करता हूँ। पत्रिका के सम्पादक शबाब हैदर तथा सम्पादक मण्डल को हार्दिक वधाई देता हूँ। उड़ान के इस प्रयास से छात्रों में निहित रचनात्मक प्रतिभा उभर कर सामने आ सकेगी तथा इन्हीं छात्रों में से भविष्य में कुछ अच्छे पत्रकार, लेखक व कवि के रूप में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकेंगे यह मेरा सहज विश्वास है।

-डा० जे. सी. यादव
प्राचार्य

Tuesday, 16 February 2016

उड़ान- 2015-16

बरगद का पेड़
जड़ें लटक रहीं
महात्मा की दाढ़ी जैसी


-बैजनाथ
कक्षा 8 अ




उड़ान- 2015-16,

नदी-नालों का है
इतना हमसे कहना
कूड़ा-कचरा
मुझमें मत भरना


-जितेन्द्र पाल
कक्षा 8 अ

उड़ान- 2015-16

स्कूल के कमरे
करते रहते हैं रोज
बच्चों का इंतजार

-रोहित सिंह बघेल
कक्षा 8 अ

उड़ान- 2015-16

पतंगे उड़े
बहुत डरे-डरे
शायद कोई पीछे है

-बैजनाथ
कक्षा 8 अ

उड़ान- 2015-16

बादलों के बीच
आराम कर रहा है सूरज
सर्दी का दिन

-अखिलेश शर्मा
कक्षा 8 अ

उड़ान- 2015-16

चिडिया की नन्हीं बच्ची
कर रही है चीं चीं चीं
भूख के मारे

-सत्यम
कक्षा 8 अ

उड़ान 2015-16

अन्न का दाना गिरा
कहीं से एक चींटी आयी
तुरन्त ले गयी


-सत्यम

कक्षा 8 अ