Sunday, 3 February 2013

दिल्ली की प्रदूषण रहित यात्रा-(मैट्रो रेल)



- शुभम कुमार झा


मैट्रो रेल की शुरुआत 24 दिसंबर 2002 को दिल्ली में हुई थी । मैट्रो स्टेशन की सीढ़ियाँ लिफ्ट वाली है। मैट्रो स्टेशन में प्रवेश करने व बाहर आने के लिए स्मार्ट कार्ड व टोकन से नियंत्रित ऑटोमैटिक दरवाजे लगे हुए है। मैट्रो में सुरक्षा के लिए ड्रेस गार्ड एवं सी.सी.टी.वी. कैमरे का प्रबंध किया गया है। टिकट की व्यवस्था के लिए स्मार्ट कार्ड का प्रबंध किया गया है। ये एक वर्ष तक चलाये जा सकते हैं। जो व्यक्ति कभी-कभी मैट्रो से यात्रा करते है उनके लिए सिंगल टोकन भी उपलब्ध है। एक तरफ की यात्रा के लिए (लाल टोकन) का उपयोग किया जाता है। मैट्रो एक दिशा में प्रति घंटे में 60,000 यात्रियों की वहन क्षमता है। इसमें ऑटोमैटिक डोर सिस्टम लगाया गया है। मैट्रो रेल के दरवाजे सिर्फ 30 सेकेण्ड के लिए खुलता है। अपंग व विक्लांग लोगों के लिए मैट्रो स्टेशन में प्रवेश के लिए एक अलग लिफ्ट बनाया गया है। मैट्रो हमें सड़क यातायात और भीड़-भाड़ से बचाकर आराम से मंजिल तक पहुँचाता है। यह बिजली से चलने के कारण प्रदूषण रहित है। यह मैट्रो अत्यंत आरामदायक सुविधाओं से भरपूर है।

 -शुभम कुमार झा
कक्षा- 10 डी

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