देखा सपना
पृथ्वी वृक्षों का भण्डार है
नींद खुली तो देखा
प्रदूषण की मार है
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फौजी हूँ बना मैं
देश के दुश्मनों से लड़ रहा हूँ
नींद खुली तो
आठवीं में पढ़ रहा हूँ
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सपने में खा रहा था चाकलेट मैं
पापा ने उठाया चाकलेट हाथों में थमाया
तब पता चला
सपने भी सच होते हैं
-अभिजीत
कक्षा 8 द
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