Friday 13 February 2015

उड़ान-2014-15

देखा सपना
पृथ्वी वृक्षों का भण्डार है
नींद खुली तो देखा
प्रदूषण की मार है

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फौजी हूँ बना मैं
देश के दुश्मनों से लड़ रहा हूँ
नींद खुली तो
आठवीं में पढ़ रहा हूँ

000

सपने में खा रहा था चाकलेट मैं
पापा ने उठाया चाकलेट हाथों में थमाया
तब पता चला
सपने भी सच होते हैं

-अभिजीत
कक्षा 8 द

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