बत्तख की चिन्ता
एक बत्तख नदी में तैर रही थी। वह बहुत चिन्तित थी। तैरते हुए बत्तख आकाश में उड़ते पक्षियों को देख रही थी। वह बार-बार यही सोच रही थी कि वह आकाश में अन्य पक्षियों की तरह आखिर क्यों नहीं उड़ सकती। बत्तख को उदास देखकर एक आदमी आया और उससे बोला कि ‘तुम क्यों उदास हो?’ बत्तख ने कहा कि- वह इसलिए चिन्तित है कि वह आकाश में अन्य पक्षियों की तरह क्यों नहीं उड़ सकती है? आदमी ने बत्तख से कहा कि सबको प्रकृति ने कुछ न कुछ विशेषता दी है। किसी को उड़ने की, किसी को पेड़ों पर चढ़ने की, किसी को दो पैरों पर चलने की तो किसी को कुछ और....। तुम्हारे पास पानी में तैरने की अद्भुत शक्ति है, इसी में तुम्हें खुश रहना चाहिए। बत्तख नहीं मानी, वह तो उड़ने के लिए जिद कर रही थी। आदमी ने बत्तख से कहा कि वह पेड़ पर चढ़कर दिखाये, बत्तख पेड़ पर चढ़ने लगी परन्तु गिर गई, वह फिर चढ़ी और फिर गिर गई। वह कई बार चढ़ी और गिर गई उसके चोट भी लग गई तब उसकी समझ में आ गया कि आदमी ठीक कह रहा है। जिसके पास जो गुण है उसी में खुश रहना चाहिए। बत्तख की समझ में यह बात आ गई और उसकी चिन्ता दूर हो गई।
-शिवम पाण्डेय
कक्षा 9 अ
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