Wednesday, 16 November 2011

मन का भय

आकाश हल्दर

कक्षा-11 

राजकीय उच्चतम बाल विद्यालय

न्यू अशोक नगर दिल्ली


मेरा भय मेरी जिन्दगी का सबसे बुरा अनुभव रहा है। मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा एक प्राइवेट स्कूल से शुरू की थी। मैं हमेशा से ही पढ़ाई में अच्छा रहा हूँ। जब मैं प्राइवेट स्कूल पाँचवीं कक्षा में पढ़ता था तब परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मेरे पिता जी ने सरकारी विद्यालय में मेरा दाखिला कराया। मैं सन २००६ में अपने विद्यालय में आया। शुरू शुरू में मुझे थोड़ी कठिनाई आई फिर बाद में सब कुछ ठीक हो गया। अब मैं कक्षा ग्यारह में पढ़ता हूँ। इससे पहले मैं किसी भी कार्यक्रम या प्रतियोगिता में भाग लेने में डरता था जिसके कारण मैंने आज तक किसी भी प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया। मेरे दोस्तों ने अनेक प्रतियोगिताओं में भाग लिया और उन्होंने कई मेडल और पुरस्कार भी जीते। मैं अपने भय की बजह से कोई भी पुरस्कार कभी भी नहीं जीत सका। लेकिन कक्षा ग्यारह में आने के बाद मुझे नए अध्यापक, नई किताबें और नए विषय मिले। सभी अध्यापकों और प्रधानाचार्य जी ने सभी विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। अध्यापकों और प्रधानाचार्य जी से प्रेरणा पाकर मुझमें कार्यक्रमों और प्रतियोगिताओं में भाग लेने की इच्छा जागी। मैं इस पत्रिका के माध्यम से यह कहना चाहता हूँ कि सभी विद्यार्थियों को विद्यालय में होने वाली प्रतियोगिताओं में अधिक से अधिक भाग लेना चाहिए।

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